त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
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कवि का कहना है कि पक्षी और बादल भगवान के डाकिए हैं। जिस प्रकार डाकिए संदेश लाने का काम करते हैं, उसी प्रकार पक्षी और बादल भगवान का संदेश लाने का काम करते हैं। पक्षी और बादल की चिट्ठियों में पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ भगवान के भेजे एकता और सद्भावना के संदेश को पढ़ पाते हैं। इसपर अमल करते नदियाँ समान भाव से सभी लोगों में अपने पानी को बाँटती है। पहाड़ भी समान रूप से सबके साथ खड़ा होता है। पेड़-पौधें समान भाव से अपने फल, फूल व सुगंध को बाँटते हैं, कभी भेदभाव नहीं करते।
नित्त नेम उठि प्रातः ही, पाठ करो चालीसा।
तीनो लोकन से न्यारी राधा रानी bajrang baan हमारी।राधा रानी हमारी, राधा रानी हमारी॥सनकादिक तेरो यस गावे, ब्रह्मा विष्णु आरती उतारें।दे
मैना मातु की हवे दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
काँधे मूँज जनेउ साजै ॥५॥ सङ्कर सुवन केसरीनन्दन ।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥१९॥ दुर्गम काज जगत के जेते ।
All troubles cease with the a single who remembers the powerful lord, Lord Hanuman and all his pains also come to an end.
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गोस्वामी तुलसीदास की सूरदास जी से भेंट - सत्य कथा
राम काज करिबे को आतुर ॥७॥ प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।